एक वक्त था जिंदगी में
दो घड़ी कोई पास आकर
ना बैठा,
आंशु तो बहुत दूर की बात है
हंसी तक बांटने के लिए
पुरा जग हमसे था रूठा ।
अचानक से हमारी याद केसे आ गई,
जो हम पर इतने मेहरबान हो गये
जिस अम्मीद की आस
कबकी दफन हो गई थी,
उसे फिरसे जगा के
इस बेजान को जिंदा करने
जो आ पहंच गये ।
दो कदम साथ चलना गवारा ना था,
और आज हमारी खुशियों की
तुम्हें फिक्र है,
या फिर हम यूं कहें के
बरदास्त नहीं है तुम्हें
हमारे चेहरे पे व
मीठी सी मुस्कान ।
आज पता चला की
आंशु इतना किमती क्यूं है
क्यूं की हंसी के पिछे का ग़म
किसीको दिखाई नहीं देता,
और हम कमबख्त
ये सोचते रहे गये
कि मुस्कुराहट से हम
दुनिया जीत लेगें,
पर सच तो ये है के,
दिलौं में बसना भी
ईतना आसान नहीं होता ।।