बदलते जज़्बात

कुछ बातें लबों पर लहराते
कुछ दिल में दबा सा रहता है
मगर हर एक के सीने में
कोई दर्द छुपा सा रहता है …

लोग हंसते सबके सामने है
पर यहां कौन खुलकर रोता है
पूछो जाकर बिस्तरों से
यहां कौन सुकून से सोता है …

कोई सिसकी लेता है चुपके से
अपनी ही हाथ थाम कोई चलता है
फिर भी आस जगाके पलकों पे
वो रात जगाता रहता है…

कुछ दिल में दबा सा रहता है
कोई दर्द छुपा सा रहता है
यहां कौन खुल के रोता है
यहां कौन सुकून से सोता है ….

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