ओ बापू तुम फिर आना

इस बार अंग्रेजो से नहीं
खुदसे लड़ने की हमें उपाय बताना
फिर से बंध चुके हैं खुद ही खुद से
अब हमें मुक्ति दिलाने के लिए
ओ बापू तुम फिर आना……

सत्य उलझ चुका है झूठ की अंधेरे में
प्रेम बदल गया है समय की कटघरे में
हिंसा की जलती हुई समंदर से
आजादी दिलाने के लिए
ओ बापू तुम फिर आना……

तीन बंदर आज सिर्फ मूरत बनकर रहगये हैं
तुम्हारी लाठी आज गरीबों पर चलरहा है
महिलाओं असुरक्षित हैं खुद की आंगन में आज
उनकी खोया हुआ सम्मान लौटाने के लिए
ओ बापू तुम फिर आना……

तुम आज दीवारों की शोभा बन गए हो
नॉट पर तुम एक सितारा बन गए हो
आज लोग तुमसे भी समझदार हो चुके हैं
उनको अच्छे से समझाने के लिए
ओ बापू तुम फिर आना……

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